पूर्णिया: 84 लाख योनियों में से मनुष्य योनि में जन्म लेना विशेष ईश्वरीय कृपा माना जाता है.क्योंकि 84 लाख योनियों में मनुष्य ही ऐसा प्राणी है,जिसे ईश्वर ने बुद्धि-विवेक,प्रेम,करुणा ईश्वर ने प्रदान किया है.इसलिए ईश्वर के दिए हुए अनुपम उपहार का उपयोग भग्वत कार्य में करना चाहिए.उक्त बातें बाल व्यास प्रज्ञा शुक्ला प्रसुन जी ने पूर्णिया जिले के कसबा में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन अपने प्रवचन में कहीं.
श्री मद्भागवत कथा के दौरान उन्होंने कहा कि मानव के तीन सौभाग्यों में से दूसरा सौभाग्य है कि भारत वर्ष की भूमि में जन्म लेना.यह भूमि आदिकाल से लेकर अब तक महान ऋषि,मुनियों, संतों की भूमि रही है.यदि हम आप भाग्वत कथा जैसे धार्मिक अनुष्ठानों में शामिल हो रहे हैं तो यह हमारी विशाल भारतीय संस्कृति व धार्मिक परंपरा को रेखांकित करती है.यदि हम भारत वर्ष के अलावा किसी और देश में जन्म लिए होते तो हमारा संस्कार अलग होता.
बाल व्यास प्रज्ञा शुक्ला प्रसुन ने कहा कि हमारा तीसरा सौभाग्य यह है कि हम सनातनी हैं.यही कारण है कि हमारे रगों में सनातन धर्म के प्रति अटूट आस्था और विश्वास है.इसी सनातनी संस्कार के बुनियाद पर हम विश्व गुरु बने हैं.
Author: sanvaadsarthi
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