
पूर्णिया: औरत की लदनी तौबा-तौबा…फनिश्वर नाथ रेणू के चर्चित पात्र ‘हीरामन ने फारबिसगंज टीशन( स्टेशन )के बाहर हीराबाई को बनैली (गढ़बनैली)मेला के लिए ट्रेन से रूखसत करते समय यह तीसरी और अंतिम कसम खायी थी.
सीमांचल की अनोखी प्रेम कथा:
सीमांचल यानि तत्कालीन पूरैनिया जिले की माटी से जन्मी इस अनोखी प्रेम कहानी के मूल पात्र हीरामन और हीराबाई हैं.हीरामन एक गाड़ीवान है। हीराबाई नौंटकी में अभिनय करने वाली एक खूबसूरत अदाकारा है.हीरामन एक सीधा सादा और भोला ग्रामीण युवक है। हीरामन लंबे अरसे से यानी बीस साल से बैलगाड़ी हांकता आ रहा है और इस कला में उसे महारत हासिल है.हीरामन अपने बैलगाड़ी से इस मेले से उस मेला ले जाने के क्रम में हीरामन हीराबाई से मिलकर खुश है, उसपर दिलोजान न्योछावर करता है, हीराबाई से अगाध प्रेम है और वह उसे दुनिया की नजरों से बचाकर रखना चाहता है, लेकिन हीराबाई से वह कह नहीं पाता कि वह उससे कितना प्यार करता है. हीराबाई भी हीरामन को दिलो जान से चाहती है लेकिन नौटंकी में नाच दिखाना उसके जीवन की मजबूरी है, उसकी जीविका का साधन है.
अभी भी मौजूद है हीरामन की सिम्फनी बैलगाड़ी
कथा शिल्पी फनिश्वर नाथ रेणू के नायक हीरामन की सिम्फनी बैलगाड़ी, जिस पर हीरामन अपनी नायिका हीरा बाई को सफर कराते थे,वह गाड़ी रेणू जी की बहन के घर गढ़बनैली में मौजूद है.हालांकि वक्त के साथ अब वह जीर्ण-शीर्ण हो गया है.लेकिन उसके अवशेष अब भी मौजूद हैं.
गढ़बनैली मेला से गहरा नाता
रेणु जी की इस कथा कृति का गढ़बनैली मेला से गहरा नाता है.यही कारण है कि रेणू जी ने इसकी फिल्मांकन के लिए निदेशक को इस मेला परिसर, स्टेशन आदि को प्राथमिकता देकर फिल्म को जीवंत व यादगार बन गया.बुढे बुजुर्ग बताते हैं कि ‘चलत मुसाफिर मोह लियो रे…’,’पान खायो सैयां हमारो …’आदि गीतों का फिल्मांकन गढ़बनैली मेले में हुआ था.
ऐतिहासिक गढ़बनैली मेला का मिट गया अस्तित्व
आश्चर्य इस बात का है कि ऐतिहासिक महत्व के इस मेले ने सामाजिक व प्रशासनिक उदासीनता के कारण अस्तित्व खो दिया है,जहां फनिश्वर रेणू के कल्पना का जीवन्त नायक व नायिका जन्म हुआ.आवश्यकता है इस ऐतिहासिक मेले को एक बार फिर से अस्तित्व में लाने का.यदि हम ऐसा करने में सफल हो जाते हैं तो यही रेणू जी के प्रति सच्ची श्रद्धांजला होगी.
