
तारापुर, कांवरिया पथ: कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि और दिन सोमवार. कांवरिया बाबा वैद्यनाथ धाम यात्रा पर जाने के लिए अहले सुबह ही सुल्तानगंज के गंगा घाट पर हजारों की संख्या में कांवरियों का जुटान शुरु हो चुका था.सभी कांवरिये जल्दी जल्दी गंगा स्नान कर कांवर उठा लेने की होड़ में लगे थे.पूरा वातावरण ‘हर हर गंगे’व ‘बोलबम’ के जयघोष से गुंजायमान हो रहा था.
मिथिलांचल के कांवरियों का सीजन
हालांकि कार्तिक माह में देश व राज्यों के जिलों से कम ही कांवरिये आते हैं.लेकिन मिथिलांचल व सीमांचल के कांवरियों की खासी भीड़-भाड़ देखने को मिली.जिसमें दरभंगा, मधुबनी,सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, अररिया व पूर्णिया के कांवरियों का जत्था देखने को मिला.दरभंगा से आये एक कांवरिये ने बताया कि मिथिलांचल के कांवरिये दशहरा के प्रातः ही कांवर यात्रा करने की परंपरा काफी पूरानी है.
कांवर पूजा के बाद यात्रा प्रारम्भ
हमारी टीम भी तकरीबन प्रातः 7: 30 बजे तक गंगा स्नान कर कांवर पूजा के उपरांत कांवर यात्रा के लिए तैयार थी.हमारी टीम ने सुबह के 7:38 बजे यात्रा शुरु की.सुल्तानगंज गंगा घाट से देवघर मुख्य पथ तक सड़क पर बिछे कंक्रीट पांवों को छलनी करने के लिए काफी था.लेकिन कांवर यात्रा का जोश व जज्बा इस कदर हावी था कि सभी दूख दर्द को बाबा के सहारे झेलते हुए सभी कांवरिये आगे बढ़ते रहे.’बोलबम’के नारों के बीच हम सभी कांवरिये अपने पूर्व निर्धारित पड़ाव कामराय पहुंच गये,पता ही नहीं चला.यहां हमारी टीम व अन्य कांवरियों ने नाश्ता किया और अगले पड़ाव के लिए निकल पड़े.दोपहर का भोजन तारापुर से दो किलोमीटर आगे करने के बाद रात्रि विश्राम धर्मराज नामक स्थान स्थित एक ढाबे में किया.इस ढाबे में लगभग डेढ़ सौ कांवरिये विश्राम के लिए ठहरे थे.पहले दिन की यात्रा में अब तक 21 किमी की दूरी तय हो चुकी है.
