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School Education: बिहार में डीबीटी का बजट 3,000 करोड़, फिर भी 50 प्रतिशत से कम है अटेंडेंस, इन छात्रों का कटेगा नाम

नई दिल्ली. School Education: बिहार शिक्षा विभाग ने कुछ विद्यालयों में छात्रों की कम उपस्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की है. साथ ही इससे निपटने के लिए कठोर कदम उठाने की तैयारी में है. मीडिया रिपोर्ट की माने तो बिना उचित कारण बताए लगातार 15 दिन अनुपस्थित रहने वाले छात्रों को निष्कासित करने की योजना तैयार की जा रही है. बिहार में 75,309 सरकारी स्कूल हैं. दरअसल, राज्य भर के स्कूल में छात्रों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है, लेकिन लगभग 10 प्रतिशत स्कूल ऐसे हैं जहां छात्रों की उपस्थिति अब भी 50 प्रतिशत से कम है. सरकार के लिए यह गंभीर चिंता का विषय है.

बता दें कि विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) ने हाल में सभी जिलाधिकारियों को जारी एक संदेश में उन छात्रों पर नजर रखने को कहा था जो निजी विद्यालयों में पढ़ते हैं, लेकिन किताबों, स्कूलड्रेस और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना का लाभ उठाने की खातिर सरकारी स्कूलों में भी नाम लिया रखा है. दरअसल, विभाग को शिकायत मिली है कि डीबीटी योजनाओं का लाभ लेने के लिए छात्रों ने सरकारी स्कूल में केवल नामांकन कराया है, जबकि वे पढ़ाई निजी स्कूलों में करते हैं. वहीं कुछ छात्रों के राज्य से बाहर (राजस्थान के कोटा) रहने की भी जानकारी मिली है.

पांच स्कूलों का होगा चयन
सभी संबंधित डीईओ को निर्देश दिया गया है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में ऐसे पांच स्कूल का चयन करें और छात्रों की उपस्थिति में सुधार के लिए अनुपस्थित छात्रों के माता-पिता से संवाद करें. जो छात्र बिना किसी उचित कारण के लगातार 15 दिन तक अनुपस्थित रहते हैं, उन्हें स्कूल से निष्कासित कर दिया जाना चाहिए. अधिकारियों को यह जांच करनी चाहिए कि छात्र एक ही समय में दो विद्यालयों में तो नहीं पढ़ रहे.

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डीबीटी का बजट 3,000 करोड़ रुपये
सरकार ने ऐसे छात्रों छात्रों का नामांकन रद्द करने को कहा है, जो केवल डीबीटी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए सरकारी स्कूल में नामांकित हैं. बता दें कि विभाग छात्रों को सालाना 3,000 करोड़ रुपये का डीबीटी लाभ प्रदान करता है.

Tags: Education news, School education, School Education Department

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Author: sanvaadsarthi

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